बच्चे का ज्ञान, गुरु जी की पहचान, *मिशन पहचान* मध्यमिक शिक्षा परिषद उ0प्र0 द्वारा संचालित राजकीय /सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों की वर्तमान दक्षता/ज्ञान को लेकर विभिन्न प्रकार की भ्रान्तियॉ परिलक्षित हो रही है, जिससे समाज में माध्यमिक शिक्षा के प्रति आम जनमानस में नाकारात्मक विचारों का उत्पन्न होना स्वभाविक है। माध्यमिक विद्यालयों के निरीक्षण/अनुश्रवण के दौरान बच्चों में ज्ञान/दक्षता अपेक्षानुरूप नही होने के दृष्टिगत’’बच्चे का ज्ञान, गुरुजी की पहचान’’, अभियान की शुरूआत की गयी, जिसे ’’मिशन पहचान’’ का नाम दिया गया है। माध्यमिक विद्यालयो में अध्ययनरत बच्चों, गुरुजन, एवं सम्मानित अभिभावकों की भागीदारी से माध्यमिक शिक्षा में गुणात्मक सुधार करते हुए बच्चों व गुरुजन तथा उनके विद्यालयों को, उनकी पहचान दिलाना, मिशन पहचान का उद्देश्य है। वस्तुतः माध्यमिक विद्यालयों में नामांकन, ठहरॉव एवं गुणवत्ता में अभिवृद्धि करना मिशन पहचान का प्राथमिक लक्ष्य है। विद्यार्थियों में, ’’अपेक्षित ज्ञान’’ का बोध/समझ, विकसित कर उनकी ’’पहचान’’ को स्थापित करना, अर्थात विद्यार्थियों को उनके कक्षा/स्तर के अनुरूप न्यूनतम ज्ञान कराकर, उनके आत्म विश्वास में वृद्धि करना ही ’’मिशन पहचान’’ है। मिशन पहचान, सीखनें/ज्ञान की वन वे प्रक्रिया (गुरु →विद्यार्थी) नहीं है, बल्कि पारस्परिक प्रक्रिया (गुरु ←→ विद्यार्थी) है। अभिव्यक्ति/सहभागिता से एक ओर जहॉ बच्चों में सीखने-समझने व रचने की नैसर्गिक क्षमताओं का विकास होता है, वही दूसरी ओर ब्लैकबोर्ड-किताब से ही ज्ञान प्रदान करने की परम्परागत एक मार्गीय, ऊर्जा व समयसाध्य विधा से गुरुजी को भी सहूलियत होती है, क्योंकि अभिव्यक्ति-संवाद-समूहपरिचर्चा, सदैव रोचक व उत्साहवर्धक होते हैं बशर्ते गुरुजी, सभी बच्चों को समान रूप से बोलने/अभिव्यक्ति व ब्लैकबोर्ड तक आने का अवसर प्रदान करें, सच होने की प्रथमतः अनिवार्य शर्त के बगैर .............। वस्तुतः बच्चों की अभिव्यक्ति/सहभागिता के बिना कोई भी सीखने-सीखाने की प्रक्रिया स्थायी व पोषणीय नहीं हो सकती है। मिशन पहचान का क्रियान्वयन- Step By Step 1. विद्यालयों में अध्ययनरत प्रत्येक विद्यार्थी को क्रमानुसार अपना सुविचार विद्यालय के चिन्हित बोर्ड/स्थान पर लिखने का अवसर प्रदान किया जाए, जिससे विद्यार्थी के आत्म विश्वास में वृद्धि होती। ब्लैक बोर्ड पर विद्यार्थी अपना विचार लिखकर अपना नाम व कक्षा भी अंकित करते हैं, यथा- यदि आप सफलता हासिल करना चाहते हैं तो, बहाना बनाना छोड़ दें।
शाहीन बनो कक्षा -10
यही विचार उस विद्यालय के लिए उस दिन का सुविचार होता है, जो अन्य विद्यार्थियों में रचनात्मक सोच की क्षमता में वृद्धि करता है, जिससे ना केवल विद्यार्थी की स्वंय की ’’पहचान’’बनती है, बल्कि उसके अभिभावक, गुरु व समुदाय मे भी आत्मविश्वास का संचार होता है। सुविचार लेखन, से बच्चो मे शुद्धवर्तनी एवं अभिव्यक्ति क्षमता का भी विकास होता है । सभी विचारो को “सुविचार पंजिका” मे अंकित किया जाए एवं माह के अन्त मे उत्कृष्ट विचार वाले बच्चो को सम्मानित/प्रोत्साहित किया जाए। 2. प्रार्थना सभा मे सामान्य ज्ञान, देश-दुनिया की समसामयिक घटनाओं/समस्याओं पर आधारित बाल न्यूज़ सेन्टर का संचालन किया जाए जिसमें क्रमानुसार प्रत्येक विद्यार्थी द्वारा प्रार्थना सभा के पश्चात सामान्य ज्ञान, देश-दुनिया के समाचारों मे से 05 मुख्य खबर को “ताजा खबर“ के रूप मे सुनाया जाएगा। 3- बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए माध्यमिक विद्यालयों में प्रत्येक शनिवार को फन डे का आयोजन किया जाता है। फन डे में बच्चों की रुचि आधारित विभिन्न प्रकार की गतिविधियां आयोजित होंगी यथा सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता (क्विज़), निबंध लेखन, वॉल पेंटिंग, डिबेट, सुलेख, भाषण प्रतियोगिता, चित्रकला, नृत्य, गायन, वादन, मूक अभिनय, विविध प्रकार के खेल, अनुपयोगी वस्तुओं से उपयोगी वस्तुएं बनाना (वेस्ट टू बेस्ट), मानचित्र में ढूंढो, अल्फाबेट पर आधारित स्थल व देश-विदेश का नाम बताओ प्रतियोगिता, किशोर संसद इत्यादि। खेल-खेल में जहां बच्चों का सर्वांगीण विकास होगा वहीं दूसरी ओर उनमें सीखने-समझने-रचने की प्रवृत्ति भी विकसित होगी... 4. मिशन पहचान के अन्तर्गत प्रतिमाह, पाठयक्रम आधारित शिक्षण पद्धति में बच्चों ने क्या सीखा-समझा ?, के आकलन हेतु विद्यालय स्तर पर मिशन पहचान मूल्यांकन टेस्ट का आयोजन माह के अन्त में होगा। विद्यालय स्तर पर आयोजित मिशन पहचान अधिगम मूल्यांकन टेस्ट में बच्चों की उपलब्धि/सम्प्राप्ति के आधार पर कक्षावार छात्रों को 05 श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा। 1-उत्कृष्ट। 2-अति उत्तम। 3-उत्तम। 4-संतोषजनक। 5-असंतोषजनक मिशन पहचान मूल्यांकन टेस्ट में बच्चों को बहुविकल्पीय प्रश्न के साथ-साथ लघुउत्तरीय प्रश्न भी उपलब्ध कराया जाएगा, जिसे बच्चे ओ0एम0आर0 शीट पर हल करेंगे/लिखेंगे, जिसे सम्बन्धित अध्यापक द्वारा मूल्यांकन करने के पश्चात, प्रत्येक छात्र का सम्प्राप्ति स्तर का निर्धारण/अभिलेखीकरण उपरोक्त दिये गये 05 श्रेणी के किसी एक में किया जाएगा। जिन बच्चों का शैक्षिक स्तर असंतोषजनक/संतोषजनक/उत्तम है, उनके उपलब्धि का आकलन कर उनके कमजोर पक्षो/विषय का चिह्नाकंन कर कक्षा अध्यापक द्वारा शैक्षिक अनुसमर्थन प्रदान किया जाएगा, ताकि अगले माह होने वाले अधिगम मूल्यांकन में उनके सम्प्राप्ति स्तर में सकारात्मक वृद्धि हो सके एवं उनके श्रेणी में अपेक्षित सुधार हो सके। अधिगम मूल्यांकन की यह प्रक्रिया प्रत्येक माह सत्तत रूप से आयोजित होगी। विद्यार्थियों के अधिगम स्तर के मूल्यांकन के आधार पर सम्मानित गुरुजन व उनके विद्यालयों का भी मूल्यांकन किया जाएगा, और उन्हें उत्कृष्ट, अतिउत्तम, उत्तम आदि की श्रेणियों में स्थापित किया जाएगा 5- सत्तत एवं व्यापक मूल्यांकन के अगले चरण में विद्यालय प्रधानाचार्य/कक्षा अध्यापक द्वारा प्रत्येक विद्यार्थी के प्रगति का मूल्यांकन कर प्रत्येक कक्षा की अपेक्षित/सम्यक/विशिष्ट पहचान रखने वाले उत्कृष्ट विद्यार्थी का चयन किया जाएगा, जिसकी अपनी पहचान होगी अर्थात जो अपने स्तर/कक्षा के अनुसार अपेक्षित सम्प्राप्ति स्तर रखते हैं। तत्पश्चात प्रत्येक विद्यालय की पहचान बनाने वाले विद्यार्थीयों का ब्लाक स्तर पर मिशन पहचान के अन्तर्गत सतत् मूल्यांकन किया जाएगा। विकास खण्ड स्तर पर मिशन पहचान मूल्यांन टेस्ट में अपनी सम्यक/विशिष्ट पहचान रखने वाले कक्षा 06 से कक्षा 12 तक, प्रत्येक विकास खण्ड के लिए कुल 07 विद्यार्थी चयनित होते है, जो कक्षा के अनुसार उत्कृष्ट सम्प्राप्ति स्तर रखते है, जो अन्ततः उस ब्लाक की विशिष्ट पहचान बनते है, और अंत में सकारात्मक प्रतियोगिता/ प्रतिस्पर्धा, जो भाषा, गणित, विज्ञान, अंग्रेजी व सामान्य ज्ञान पर आधारित होती है, के माध्यम से जिला स्तर पर मिशन पहचान मूल्यांकन टेस्ट में विशिष्ट पहचान रखने वाले कक्षावार/स्तरवार उत्कृष्ट व अतिउत्तम बच्चों का चयन कर, उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर उनकी विशिष्ट पहचान को सम्मानित किया जाएगा। साथ ही उनके अभिभावक व शिक्षकों का भी उपहार/प्रशस्ति पत्र के द्वारा सम्मान किया जाएगा, जो उनको विशिष्ट पहचान दिलाता है, जो अततः अभिभावक/गुरु/माध्यमिक शिक्षा विभाग की भी पहचान बनेगा । निश्चय ही ’बच्चे के ज्ञान’ से ’गुरुजी की पहचान’ भी स्थापित होगीै। अस्तु ’मिशन पहचान’ ज्ञान की संवृद्धि की सतत् प्रक्रिया है, जो विद्यार्थी में आत्म विश्वास की वृद्धि कर उनमें अपेक्षित ज्ञान का बोध कराकर कक्षानुसार उनकी व गुरुजी की पहचान को स्थापित करेगा।
मिशन पहचान को सफल बनाने हेतु आप सभी के सहयोग का आकांक्षी आपका (ओ0पी0 त्रिपाठी) |